बुद्ध पूर्णिमा 2018: जानें, शुभ मुहूर्त और महत्व



बुद्ध पूर्णिमा 2018: जानें, शुभ मुहूर्त और महत्व
नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated Apr 27, 2018, 03:07 PM IST
वैशाख मास की पूर्णिमा इस साल 30 अप्रैल, सोमवार को है। इस दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसी दिन बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी और वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ने गोरखपुर से 50 किलोमीटर दूर स्थित कुशीनगर में महानिर्वाण की ओर प्रस्थान किया था। दुनियाभर के बौद्ध गौतम बुद्ध की जयंती को धूमधाम से मनाते हैं... 

इन देशों में भी मनायी जाती है बुद्ध पूर्णिमा 

बुद्ध पूर्णिमा न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। श्रीलंका, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, नेपाल थाईलैंड, मलयेशिया, म्यांमार, इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं। श्रीलंका में इस दिन को 'वेसाक' के नाम से जाना जाता है, जो निश्चित रूप से वैशाख का ही अपभ्रंश है। 

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व 

बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के पिछले कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है। यह स्नान लाभ की दृष्टि से अंतिम पर्व माना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा पर बौद्ध मतावलंबी बौद्ध विहारों और मठों में इकट्ठा होकर एक साथ उपासना करते हैं। दीप जलाते हैं। रंगीन पताकाओं से सजावट की जाती है और बुद्ध की शिक्षाओं का अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं। इस दिन भक्त भगवान महावीर पर फूल चढ़ाते हैं, अगरबत्ती और मोमबत्तियां जलाते हैं तथा भगवान बुद्ध के पैर छूकर शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। 

बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 

बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 29 अप्रैल 2018 को सुबह 6:37 बजे से शुरू होकर 30 अप्रैल 2018 को 6:27 बजे खत्म होगा। हिंदू धर्म में हर त्योहार उदया तिथि को ही मनाया जाता है, इसलिए बुद्ध पूर्णिमा भी 30 अप्रैल, सोमवार को मनायी जाएगी। 

महात्मा बुद्ध का ज्ञान 


महात्मा बुद्ध ने हमेशा मनुष्य को भविष्य की चिंता से निकलकर वर्तमान में खड़े रहने की शिक्षा दी। उन्होंने दुनिया को बताया आप अभी अपनी जिंदगी को जिएं, भविष्य के बारे में सोचकर समय बर्बाद ना करें। बिहार के बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई और उनके ज्ञान की रौशनी पूरी दुनिया में फैली। महात्मा बुद्ध का एक मूल सवाल है। जीवन का सत्य क्या है? भविष्य को हम जानते नहीं है। अतीत पर या तो हम गर्व करते हैं या उसे याद करके पछताते हैं। भविष्य की चिंता में डूबे रहते हैं। दोनों दुखदायी हैं। 

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